भींत में थान है,
थान में देवता
आरती सूं
देवता तो मानता रैया
पण
भीत कोनी मानी
अर अेक दिन।
दाब मारया देवतावां नैं।
स्रोत
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पोथी : मंडाण
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सिरजक : विनोद स्वामी
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संपादक : नीरज दइया
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प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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- संस्करण : Prtham