(अेक)

रातां-बातां
टेरली
घूमर घाल्यो
हेरली
तूं सुणा
तेरली
म्हैं सुणाऊं
मेरली।

(दोय)


रात जावैला
दिन उगैला
पाछो दिन ऊगैला
रात आवैला
सांस जावैली
मुड़’र के आवैली?

(तीन)


रात जिसी
रात है
बात जिसी
बात है
बिना रात
कठै बात?

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : अशोक परिहार ‘उदय’ ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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