आधौ रस्तौ

पार कर लियौ अर आधौ

निगळग्यौ

कै स्यात कोई म्हांनै

रस्तौ मांन झाल लेवै

उपरांत आपरै पगां सूं म्हांनै

चिगदै

फंफेड़ै

म्हांनै अर म्हांरै मांय जमियौड़ी खंख नै

उडावै

पण जितरा मिल्या

सिमरथवांन

सै रा सै पांगळा।

उंचाय नीं सक्या वै

आपरा

सूक्यौड़ा डांखळा!

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : mani madhukar ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकाशन, जयपुर
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