म्हैं थार रौ कवि
जावौ तीरथ, म्हैं थांनै मुगती देवूं!
रेवौ रेत, म्हैं थनै सगती देवूं!
इण टाळ म्हैं कर ई कांईं सकूं
म्हैं राख्या न्यारी-न्यारी बादळ्यां रा नांव
करली वांनै लावण अर लेय जावण वाळा गुणचास ई पवनां री पहचांण
केई सुगन भाळिया
देखी नित नवी मौसम री भवीसवांणियां
अठातांईं के टीवी ई बादळां रौ जमाव देखण नै मोलायौ
केई-केई दांण कांईं
आयै चौमासै आभा कांनी भाळ्यौ बाकौ फाड़
म्हैं जांणू
जगती रा दूजा लोग
कदै-कदास ई घांटी ऊंची करता व्हैला
अर बादळां सारूं तौ मर्यां ई नीं
बेफालतू कांम माथै कुण ध्यांन देवै
म्हैं मांन लेवूं
जावौ तीरथ, म्हैं थांनै मुगती देवूं!
बरसाती जूता, छतरी, रेनकोट
क्यूं मोलावै लोग?
कांईं वै औ ई नीं जांणै
के बादळां मांयलौ पांणी
आ जांणै ई कोनीं
के म्हांरी आख्यां मांय बसै वांरौ मां जायौ भाई
जद मेघ नीं आवै
तद वौ बरसै टप-टप
अर म्हैं ई बैवाय लेवूं
जावौ तीरथ, म्हैं थांनै मुगती देवूं!
उमर पकाय लूवां रै आकरै तावड़ै
जद कासी में करोत लेवण जावै म्हांरा दांना-बूढा
पांणी आ ई नीं जांणै
के वै तीरथ करण नै नीं आया छै
खाली माली बैवता पांणी नै परस
पांणी में मरण आया छै
अणूंतौ निसरमौ है पांणी
इणरौ पांणी मरग्यौ दीसै
जद-कद पड़ैला भाखर माथै
न्हाटेला ताबड़तोड़
मिनखां री पकड़ सूं बारै
जावैला हांफतौ पड़तौ-दुड़तौ
पाछौ खारौ व्हैण सारू
अर वठै जाय ढबैला
जठै उणनै कोई नीं बूझैला
के कठा सूं आयौ है बीरा?
थाकग्यो व्हैला, थोड़ौ विसांमौ तौ खाय लै!’
म्हारै प्रांत रा रैवासी
घणकरा नीं जांणै तिरणौ
पांणी जांणै ई नीं इती सी बात
के उमर बीतगी उणनै किणी
बाथ में भर छाती सूं नीं चेपियौ
पछै औ पांणी क्यूं छै
अर छै तौ सगळी ठौड़ सारीसौ क्यूं कोनीं छै?
म्हैं पांणी री गफलत जांण लेवूं
जावौ तीरथ, थांनै मुगती देवूं!
कछार किणनै केवै अठै कोई नीं जांणै
म्हारी भासा में कोंनी बाढ सारू कोई सबद
अर तिस रा केई-केई नांव छै
आ तिस तौ रेत नै ई लागै
इण सारू ईज वा तिसायां मरै
जिकी लूगड़ी भींज छांटां में ई
गदगद व्है जावै
देख, विजोग मोटी बात छै
म्हैं रेत नै गदगद व्हैणो भूलण री बात कैवूं
अर सबदकोस री पीड़ जांण लेवूं
जावौ तीरथ, म्हैं थांनै मुगती देवूं!