सहेलियां रै झूलरै सागै

पणिहारी जावै

आथूणै पणघट पार

कर सोळै सिणगार

पग पायल झिणकार

चाली पणिहारी

गजगामण चाल।

घड़लो तो घड़ियो कुंभार

ईंढाणी तो लाया सायब जी

ओढ समंद लहरियो

पणिहारी जावै

लेवण सरवरियै नीर।

पणिहारी !

पगां में पायल री रमझोळ

कड़ियां में रळकै

कंदोरो सोवणो

गळै में ओपै नवलख हार

किण चतर घड़ी

थारी कनक-काय

थारै रूप पर

अलेखूं हिवड़ा रीझिया।

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : गजेन्द्र कंवर चम्पावत ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी दिल्ली
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