चिड़ी री उडीक रो पड़ूत्तर
थोर रै फूल आयो
सुरंगो...
मुळकै अेकलो
मुरधर रै मांय!
चिड़ी उडै उणरै
ओळै-दोळै,
थोर कांई बोलै
चिड़ी इज केवै-
''ओ मुरधर री प्रीत!
थारो ओ फूल म्हनैं दै,
म्हैं दिखाय’र बताऊं
दुनिया नै
कै कित्तो कंवळो है
थारो हेज।''