थारै छोड्यां-छिटकायां सूं

च्यार दिन पछै मरता

मर जासां च्यार दिन पैली...

बोलणियां नै कुण बरजै

बात-बात में मीन-मेख चोखी बात कोनी

अगूण री हवा आथूण आवै-जावै तौ दोस किणरौ

आज तांई गाया-गाया गीत, जियां गवाया थे

गावतां रैया म्हे!

करण नै तौ घणौ कीं करियौ जाय सकै

अेक चकारियौ छोड'र जाय सकां दूजै मांय

जरूरी कोनी कै रैवां आपां चकारियां मांय

मरण सूं पैली बोल्यौ जाय सकै है साच

अर कोई मरण नै क्यूं उडीकै...

समझलै बात कै साच बोल'र जीवण मांय सार।

वौ जिकौ दाय हौ म्हैं आपनै

अबै हुयग्यौ हेत छांय-मांय

स्सौ कीं है जिकौ अळसीज्योड़ौ अर बेकार

कांई बिसराय दी ओळूं भलै दिनां री

जे बोलणौ है तो गुळलपटी बातां छोड’र साफ-साफ कैवौ नीं।

साच है जे मांय काळजै चेप्योड़ौ, बोल हुवां नचीत...

काल पतियारौ हुसी इण साच रौ

हेत है इण रूपाळी दुनिया सूं

अठै खांडी कोनी हुवै कोई कोर

च्यार दिन पैली मरण सूं...

पाछौ कुण आसी

जे बात है तौ करलां हिसाब

अबै जिका रैया है दोय दिन बाकी

दिन दो खुल्ला छोडदौ, जीवण खातर

आंगळी कद तांई पकड़’र चालसां

अर कित्ता दिन रैसी आंगळी

खारा-खारा म्हांनै ना देखौ...

निजर फोरली हौ जद

देखौ कीं और जिकौ दाय है

मन सूं उतार् ‌या हींडौ किण खातर

थे नीं तौ कांई कोई तौ है साथै

राम-राम बोलणौ आवै...

मारग मांय मिल जासी सागौ

अबै जीवण दौ, मुळकण दौ

बात-बात में ना अटकावौ टांग,

जातरा खातर राखौ संभाळ

थोड़ा’क काढां दांत, तद आंख्यां क्यूं काढौ...

कैयोड़ी साच हुयगी तौ भरीजैला आंख्यां

अंत-पंत थे भाठा कोनी, मिनख हो माइतां।

अर भलै मिनखां!

थांरी नफरत पर गफलत सूं पाळता सैंध

भेळै पाळी है अणमाप अपणायत

कीं हेत लुकौ राख्यौ है अदीठ ऊंडै अंतस मांय

थे थांरै चकारियै में रैया... भलौ!

घणा भला हो थे

ठाह नीं किसी माटी सूं घड़ीज्या हौ

ना जीवण री बात में बोलौ

ना मरण री बात में चुस्कौ।

वा... च्यार दिन पछै मरता,

मर जासां च्यार दिन पैली

करता जावां अरदास

थे अमर रैया, कदैई ना मरिया...

संभाळ लिया हेत म्हारौ,

...अर नीं तौ काढ दिया हेत रै च्यारूंमेर अेक चकारियौ

लोक देखापै री थांरी अपणायत नै लेय’र जासां म्हैं

म्हारै भेळै... म्हारै पांती

सुख कांई कम है...

कोई ओळमौ कोनी थांनै

मिल्यौ जित्तै में रंज जासां

अबै कोनी मांगा

सबूरी राखणी खासियत म्हांरी

कारण पाछौ कुण आसी...

अठै जाणलौ किणनै कुण छोडसी

खोस लेसी दुनिया स्सौ कीं!

खोस लेसी दुनिया स्सौ कीं!!

स्सौ कीं...?

इण खोसा-खासी मांय ओळूं कठै जासी...!

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : नीरज दइया
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