सांमी दीठ राखतां बेली, मारग दोखै बिल्कुल सावळ।

मारग सूं भटकै नीं मांणस, जाय कदै नीं आवळ कावळ॥

च्यारूं कांनी दीठ रेवै तौ, कांम कदै नीं बिगड़ै उणरौ।

दीठ फैरतां कांम बीगड़ै, इणमैं सारौ है पण कुणरौ॥

दीठ पिछाणै सखरौ भूंडौ, जौदरी दीठ हीर पिछांणै।

खोज पिछाणै पागी देखौ, दीठ सोनो री हेम पिछांणै॥

दीठ ओळखै देख पाडियौ, भैंसी रै नेड़ौ नीं जावै।

दीठ गिरज री बड़ी तेज व्है, सीधौ सरण लोथ पर आवै॥

वैदक दीठ पण रोग पिछांणै, जोतसि दीठ लखै दिनमांन।

करसउ दीठ झट भौम पारखै, भड़ री दीठ लखै घमसांण॥

बाज दीठ उंदर पर नांखै नांखै कैकी दीठ अहि पर।

उंदर विसधर प्रांण गमावै, दोनूं ही नीं रेवै महि पर॥

सादूळै री दीठ पड़ै जद, हस्ती रौ मन कंपण लागै।

बण आवै नीं बठै थमण री, छोड जगां बौ झटपट भागै॥

सांची सांतरी बात बणै न, उथली दीठ सदा ही मोळो।

सुद्रढ़ बात जदै बण आवै, ऊंडी दीठ सूं खींचै ओळी॥

दीठ पड़ै सूं प्रेम नीपजै, दीठां सूं ही होय झळाहळ।

दीठां सूं ही इमरत होवै, दीठां सूं ही होय हळाहळ॥

दीठ दीठ में घणौ फरक है, दीठ दीठ सूं राग ऊपजै।

दीठ दीठ ही दूर करावै, दीठ दीठ सूं क्रोध नीपजै॥

दीठ सरासर जै रेवै तौ, कांम सरासर बणतौ रेवै।

दीठ अदीठ करत ही देखौ, सपण मे’ल बै चिणता रेवै॥

दीठ करावै सफल कांम में, बिगड़्या दीठा कांम अदीठ।

छिछली दीठ कदै नीं आछी, कांम सुधारै ऊंडी दीठ॥

स्रोत
  • पोथी : ऊंडी दीठ ,
  • सिरजक : अस्त अली खां मलकांण ,
  • प्रकाशक : आमना प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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