साईनी साथणियां री

साळ अर

आळ-पंपाळ में

चमचेड़ां रै लार-लारै भाजै

वा निकमी छोरी

अम्मल उणींदौ बाप

ओकड़ूं

निरी बार जबाड़ी मारै

तौ लूखा टुकड़ा

कंठां ढळै

पोळी आगै कूटळौ कूटळौ

आगड़-बागड़ ऊंदरियां नै तकै चत्तर

बिलाई

पगथळी रै न्हारवै री पीड़ में

चिराळी मारै नै

भाठां सूं माथौ फोड़ै

सत्तरा ढ़ाणियां री जलम-देवाळ दाई—

जिवड़ा, अजै मौत क्यूं नीं आई।

कुण काढ़ै

कुण वाढ़ै जड़ामूळ सूं

न्हारवै रौ

बेमरजाद तागौ

राफां झरै

गीड बेवै

बोछरड़ायां करतौ हांडै

नुंवौ नाहर नागौ।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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