ला म्हारौ मुखड़ौ दै थोड़ौ बारैजाऊं

अंगरेजी रा सबद घाल दै कीं बटवा में

आजकल घरमें तौ अै उपड़ै कोनी

च्यारूं कांनी बड़लै-बड़लै मोर टहूकै

कुरळावै सरवर रै ईरां-तीरां कुरजां

कोयल रस घोळै लुकियोड़ी अमराई में

अंगरेजी रा सबद घाल दै कीं बटवा में

भासा सांच छिपावण वाळी

मन रा भेद लुकवाण वाळी

मारग में मूरख मिलग्या तौ

म्हैं वैंमे अग्यांन उगाऊं

ला म्हरौ मुखड़ौ दै थोड़ौ वारै जाऊं

हंसी पड़ी व्है धूपियोड़ी तौ जेबां भर दै

नीठ टाबरां रै हाथां सूं खोस धरी ऊँची आळा में

घर में नीं व्हैला तौ सर जावैला

बारै पग -पग झरणां नदियां री कळकळ मैं

संचियोड़ी हंसी कांम म्हारै आवैला

हंसी लाण छळ छंद छिपावै

मिनखां में माजनौ बचावै

धौळौ धौळौ दूध मिळै तौ

म्हैं उणमें जैर मिलाऊं

ला म्हरौ मुखड़ौ दै थोड़ौ बारै जाऊं

ठाकुरजी वाळा नेतर ला अणचळ म्हारा

लारै लागै नहीं, फगत म्हैं आज देख लूं

बारै घणौ तावड़ौ जगमग चन्नाणौ है

भांत-भांत रै रंगां रा दै नैण म्हनै बारै जाणौ है

हाथ- पगां पांसळियां री हाड़कियां माथै

चिपियोड़ी चमड़ी तिड़कैला जगां-जगां सूं

इण में थोड़ौ घास-फूस अर पालौ भर दै

ब्रख खांधा, केहर कटि,लांबा भुज दो कर दै

म्हनै मिनख रौ भरम बणा म्हैं बारै जाऊं

ला म्हारौ मुखड़ौ दै थोड़ौ बारै जाऊं

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : सत्यप्रकास जोशी ,
  • संपादक : तेज सिंघ जोधा
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