अवतार तौ

जुगोजुग बीतीयां

एक बार

धारण करै आपरौ बागौ

वो जांणै है बात।

इणी सारूं

घड़ी-घड़ी

थनै भेजै मां

दुख नै भोगणियौ

इणरै टाळ कुण जलमियौ

आज तांई

आपांरी धरती माथै।

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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