बारंबार अपमानित हुयो हूं म्हैं

अपमानित हुया हो थै

म्हारा साथियां!

म्हाणै मांय सूं जद कदैई

कोई सड़क माथै आयने गावै,

म्हां लोगां सू

गावण रो 'हुकमनामी' मांगीजै

म्हां जद कदैई

अंधारै में मंणा करता

चैरां माथै

टाचै रौ अकास न्हाख्यो,

छिप्योड़ा हाथां री

निसांणौ वणी टाच

म्हां जद कदैई

किणी मंच सूं

म्हांणी वांणी नै तांणी

म्हां अपराधी घोसित हुया।

म्हांणै माथै

कोरा सबद इज नीं

फेंकीजी पूरी किताबां

चेपीज्या

म्हांणा सबद माथै सबद

जिणसुं

कोई वांनै सुणै नीं

कोई वांनै भणै नीं

गुणै नीं।

जद कदैई कोई वांनै

सुण लिया, के भण लिया, के गुण लिया

तदई समझौ

बदळ जासी नियम सगळा

चैरां माथै चढ्योड़ा सगळा मुखोळा

टूट जासी, तिड़क जासी

मांयलो संसार धरतौ रूप

वारं निजर आसी।

स्रोत
  • पोथी : झळ ,
  • सिरजक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : जुगत प्रकासण, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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