लारलै दिनां* टाबरां

परापरी सूं चालता छकड़ा नै

रीस में आय भांग-भूंग

उणरै कबाड़ मांयला पाटियां सूं

बणाय काढी नाव

नीं जाणता बात

के थळी में नाव सूं कांई माथौ फोड़ांला

पण काळी मूंडी वाळा छोरां नै कोई कांई समझावतौ!

वे आपरी आंख्यां में सार्‌योड़ा

सतरंगी सुरमा रै पांण

धकलौ-लारलौ कीं नीं सोचै हा

वांनै धकै हर्‌यौ हर्‌यौ दीसै छौ

कोई नीं देख्यौ

नाव रै पींदा में ठिंडा ठिंडा छा

जिकां माथै पांनड़ा धर्‌योड़ा छा

वे जाणै कोनीं छा

घड़ी-घड़ी भरीजै छौ पांणी

अर धोबौ भर-भर जित्तौ उळीचता

गरीबी रै उणियार

नवौ पांणी भरीज जावतौ लगोलग

नाव में पांणी री सीर आवती रही

अर देस भरीजतौ गयौ गरीबी सूं

कोई कित्तौ उळीच लेवै

आवतौ पांणी ढबै नीं

पण बापू!

उळीच-उळीच थाक्या

नाव नीं डूबै

नीं तिरै

करां कांईं?

स्रोत
  • पोथी : अबोला ओळबा ,
  • सिरजक : चन्द्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : सर्जना, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै