मै’सूसो

कीं बी मै’सूसो

भलो, बुरो!

कीं बी

हां, कीं बी

कण या मण।

कीं बी

हां कीं बी

जीवन सारी भरण।

कीं बी

हां कीं बी

हांसण, गावण, रोवण।

पण

थारै जोवण री

होवण री

साख तो भरो।

कीं तो मै’सूसो

भलो, बुरो?

स्रोत
  • पोथी : बानगी ,
  • सिरजक : मोहन आलोक ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै