सत्य ले जलम जठै,
शांति तो बसै बठै
जद जुलम घणा बढ़ै—
क्रान्तियां री झळ उठै।
शक्ति-भक्ति सूं बंधी, आ धरा महान रे।
प्राण सूं घणी सदा है इण रा री आण रे॥
आण पर सदा मिट्या,
युद्ध में लड़्या कट्या,
आँख देस पर उठै—
वा न आँख रह वठै।
एकता सूं नित जुड़ी, आ धरा महान रे।
प्राण सूं घणी सदा, इण धरा री आण रे॥
जोत जागती रही,
शत्रु-मुक्त आ मही,
होश में सदा रही,
जोश में सदा रही।
राक्षसां सूं नित लड़ी, आ धरा महान रे।
प्राण सूं घणी सदा, इण धरा री आण रे॥
वेग में रुकै नहीं,
कष्ट में झुकै नहीं,
आग घोळ पी सकै—
मृत्यु में भी जी सकै।
जौहरां सूं नित सजी, आ धरा महान रे।
प्राण सूं घणी सदा, इण धरा री आण रे॥
संघ-शक्ति री विजय,
आ धरा सदा अजय
म्हे सदा रह्या अभय,
साथ है सदा समय।
क्रान्तिकाळ में जगी, आ धरा महान रे।
प्राण सूं सदा घणी, इण धरा री आण रे॥
रगत रो तिलक लगा,
सुप्त शाक्तियाँ जगा,
संख भेरियाँ बजा,
दुष्ट शत्रु नै भगा।
पाप सूं सदा बची, आ धरा महान रे।
प्राण सूं सदा घणी, इण धरा री आण रे॥