कदै इन्नै

कदै बिन्नै जावै

सोधती जीयाजूण

सूंघै अर मूंडो हटावै।

डरै, कदै आंख्यां दिखावै

कूकै, कदै मौद मनावै

बैरथी-सी फिरै

करती सिरजण भचीड़ खावती–कीड़ी।

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : अशोक परिहार ‘उदय’ ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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