नेठाव सूं
वो
घड़तौ रैयौ थनै
देवण
खुद रौ रूप
वा ई गैरी आंख
मोवणी मुळक
लांबा केस
पतळी आंगळियां
काची माटी सूं घड़ियौ
एक-एक अंग
पछै जुगां लग
जोवतौ रैयौ थनै
चांणचक एक दिन
उण
काढियौ आपरौ काळजौ
अर
धर दियो
उण माटी रै मांय
पछै वो भूलगियौ ओ सै
अबै
आखी दुनिया
देवै उणनै ओळबा
वा कांई जाणै
कै उणरौ काळजौ तौ
थारी माटी मिळियोड़ौ है।
वो उपर बैठौ है
काळजै बायरौ...!