जातरा : एक
जद जद भी बूझ्यो
जातरा को गेलो
लोगां नै नाळो-नाळो बतायो।
म्हूं बना बतायां ईं
ईं मुकाम तांई
चल्यो आयो।
जातरा : दो
भावना नै अरथाबो,
अरथ नै आखर देबो
आखर-आखर की माळा पोबो
फेर चड़ी चुप्पी
भीतर ई भीतर चालवो।
या कशी जातरा छै?
तू सोचै छै
कै म्है चाल र्यो छूं
जमाना भर सूं
आगै भाग र्यो छूं।
चंदरमा कतनो ई भागै
धरती सूं ऊं को गरजोड़ो
न्हं टूट सकै
या कशी जातरा छै?