हार्‌या थाक्या हाण जिन्दगी

कतरी भूंडी बाण जिन्दगी।

आठूं प्हैर रोवण्यां सा है

आयी ज्यूं मोकाण जिन्दगी।

अठे भरोसो छिण रो कोनी

कतरा करै टिमाण जिन्दगी।

जेज करै लागी टिस्कोळी

खो दी अठे पिछाण जिन्दगी।

होटां मांथै बाग-बगीचा

हिवड़ै मांय मसाण जिन्दगी।

जिणरी कोई हार-जीत नी

इस्यो है घमसाण जिन्दगी।

मनै खुद जीवण लागी

बदळी जूनी बाण जिन्दगी।

किसी गळी पादरो होवूं

आई खींचा ताण जिन्दगी।

स्रोत
  • पोथी : अंत बिहूण जातरा ,
  • सिरजक : रामस्वरूप परेस ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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