आपां धनवानां रै सागै रैवणो चावां,

स्यात् की मुफत में मिल जावै।

या फेर कांई ठाह आपां ही सैठ

साहूकार गिण्यां जावां॥

आपां छोटा मोटा बापड़ां रो साथ नी देवां

स्यात् आपां में हिम्मत कोनी।

या फेर आपां वां सू ही बेसी नाजोगां हां।

आपां बाईपै मांय कड़वो खरो सांच कोनी बोलां,

स्यात् रिस्ता नाता टूट जावै।

या फेर अेकलपणै सूं डरै॥

आपां परमात्मा नै पूजां

स्यात् की मांगण नै।

या फेर अरपण नै॥

आपां लारै मुड़’र कोनी देखां

स्यात् पाछलां रै आगै नीसर जावण रै

भय सूं।

या फेर सबां सू आगौ रैवण रौ

फीटापणै॥

आपां झूठ बोलां

स्यात् भेद खुलण रै भैसूं

या फेर आपी आप नै सांचो धरपणै

वास्तै।

अै दिखावां छोड़ दैवां तो

कांई बिगड़ै? आपणौ काई जावै।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : अवन्तिका तूनवाल ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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