जद म्हैं

थांरी काया नै अंगेजू

आखी दुनियां तिरपत व्है जावै

अेकण साथै

पण म्हनै लागै

कै म्हैं साव सूकौ नै भूकौ

उभौ हूं

किन्नारै माथै!

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकाशन, जयपुर
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