बूढे बैसाख
अर बाळणजोगै जेठ री बाथां में
बळी-तपी
हरी हुवण री हूंस दाब्यां
सूती धरती
अंग-अंग भीजै
बा रीझै
मुळकै-गावै
जद हरी करै सावण!