नैण रो नीर ढ़ळ्यो ढ़ळती में

पसर गयो पलकां पासै

कुण बींनै बूझै मनड़ै मांली

नैण रूठियां जग हांसै॥

झिलमिल-झिलमिल पळकै पलकां

ढूळकै मोती रो सिणगार

आस पडोसी भीजण लाग्या

हूक री कूक चढी गिगनार

कुण थारी गागर ठेस लगाई

कुण थानै पूछैलो पुचकार

किणबिद नीर ढ़ळ्यो ढ़ळती में

बिखर गयो पलकां पासै...

प्रीत पावणी हियै हिलोरां

पींगां भर-भर हैत रचै

मेंदी सिरसा लाल मांडणा

कोरै मन में रचै बसै

जद-कद पिघळै मन रो मोती

नैणा नीर बणै बिखरै

इणबिद नीर ढ़ळ्यो ढ़ळती में

बिखर गयो पलकां पासै...

रूड़ो रूप उतर नैणा में

नेह-री नींव लगा लीनी

मीठी सांस सुवास बसी बीं

हिवड़ै हाट सजा लीनी

कुण म्हारै हिवड़ै री हाट उजाड़ी

कुण वी में लाय लगा दीनी

इणविद नीर ढ़ळ्यो ढ़ळती में

पसर गयो पलकां पासै

कुण बीं नै बूझै मनड़ै मांली

नैण रूठियां जग हाँसै॥

स्रोत
  • पोथी : जूझती जूण ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन (बीकानेर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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