घमलै रा फूल’ फूल’ तूं

मत कर इतरी भूल

आज नै आज सिंवरजै रे

अधीरा धीरज घरजै रे॥

मे आंधी रा माय थपैड़ा

लूवा लाय तपी देही

'भंवर’ भतूळा फिरै भटकता

मान हाण ना तज देई

तूं शीश रो सोदो करजै रे

तूं लिपळां स्यूं मत डरजै रे॥

चार चौफैरी घणा रूंखड़ा

सुण'कुण सार करै बांरी

पाखी पोख फळां लदियोड़ा

जगती बात करै वांरी

तूं फळ दै बात बिसरजै —रे

तूं काळी रात बिसरजै —रे॥

पल दो पल री जूण जेवड़ी

अण गिणती रा आंटा है

फूल फूल रै आसै-पासै

छोटा मोटा कांटा है

तूं अमर रा आखर भणजै रे

तूं कांटां स्यूं ना डर जै रे॥

बरगद हाळी छांव सरपणी

काची कूंपळ नै डसलै

इसै रूंखड़ां रूंगस नै

खेल खेल में तूं लख लै

तूं आंरो साथ बिसरजै रे

तूं बण-बण लाय पसरजै रे॥

मां धरती रा सुमन लाडला

जोगी जाग जुगत कर लै

सांप सळीटा अजगर दीठा

पकड़ मूंड की बस कस लै

तूं बिस रा गुटका पीजै रे

काया आप रसीजै रे

घम लैरा फूल’फूल तूं

मतकर इतरी भूल

आज नै आज सिंवरजै रे

अधीरा धीरज घरजै रे॥

स्रोत
  • पोथी : जूझती जूण ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन (बीकानेर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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