चिड़ी री उडीक रो पड़ूत्तर

थोर रै फूल आयो

सुरंगो...

मुळकै अेकलो

मुरधर रै मांय!

चिड़ी उडै उणरै

ओळै-दोळै,

थोर कांई बोलै

चिड़ी इज केवै-

''ओ मुरधर री प्रीत!

थारो फूल म्हनैं दै,

म्हैं दिखाय’र बताऊं

दुनिया नै

कै कित्तो कंवळो है

थारो हेज।''

स्रोत
  • पोथी : अंतस दीठ ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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