सुख अर दुख
आप आपरौ हुवै
म्हारौ दुख–
थानै अेकैकारो लाग सकै
अर म्हारै सुख माथै
थूं दांत काढ सकै
थनै जंगळ में
खेजड़ी माथै बैठी
अेकल अेकली चिड़कली
कोई खास बात नीं लागै
पण म्हारै काळजै
गैरी उदासी भर जावै
तिरण लागै
म्हारी आंख्यां में
कच्चा टापरा
उदास झूंपड्यां
जठै लगोलग
नीं तौ लालटेण सूं
कोई धुंवौ उठै
अर नीं ई रसोयां सूं,
इणमें म्हारौ
कीं दोस कोनी
म्हारा भायला
के थनै
खुलै आभै में झपटता केई बाज
अर बंचाव सारू आफळता
केई कबूतरां रै
जीवण-मरण रै
खूनी खेल में
बाज रौ झपटणौ
घणौ सुहावै
उणमें रस आवै
अर म्हैं डरूं-फरूं हुयोड़ौ
कबूतर री पीड़ सूं
सूकण लागूं मांय-रौ-मांय
म्हैं जठै खड्यौ हूं
उठै री जमीन री
आपरी सोच है
अर न्यारी निजर
म्हैं कैयौ नीं
सुख अर दुख
आप आपरौ हुवै।