नीं गयौ कदै
कोई दिन खाली
कै समझ पकड़्यां पछै
नीं रोया हुवै
आपरा रांडी रोवणा
देवता रै सन्मुख
कदै हारी बेमारी
कदै कोई और लाचारी
अेक अस्तुति रै सागै
हजारूं हजार दुख
घोळतौ रैयौ
देवता रै कानां
आज लकायौ अचाणचक
अै सब पड़पंच
सब मिथ्या भरम
सब जी रा जंजाळ
अनोखै उजास रौ पळकौ
चिलकग्यौ
अेक छिन
हुयौ जी में पिछतावौ
फालतू ई इतरा बरस
कर्यौ दुखी इयां
बापड़ै देवता नै
जकौ सुणतौ रैयौ चुपचाप
अर मुळकतौ रैयौ
सदा ई
आज बीं सूं
खाली वीं सूं ई मिळूंला
घणै चाव सूं मिळूंला
नीं कोई अस्तुति
नीं ई कोई भजन
बस बीं रा चरण
बस बीं री सरण
पण औ कांई —
आज ईज देवता
मूरत सूं निसर
नीं ठा कठै गया
रैयगी पत्थर री
खाली सिला
जिण में देवता नीं हा
बाकी सब
बियां रा बियां
हुवतौ रैयौ कीरतन
मिंदर में आखी रात।
अर म्हारी आंख्यां
ताकती रैयी आभौ
देवता मूरत में नीं
मन में हुवै।