भोर री बेला

रसियो सूरज

चोरी-चुपकै सूं आ’र

कर न्हाख्यो आभो लाल!

जाणै कोई बहनोई

होली खेलण रै मिस

साली रै गालां माथै

मसल दी हुवै गुलाल!

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : सांवर दइया ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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