रूपा की बावळी, हांरे पलकां की छावळी-
मत ना मारे नैणा बाण तू।
बांता की बोरी, हां रे गांवा की छोरी
काम की रखाण थोड़ी काण तू॥
चन्दरमा सरमा मर जावे जद जद मुखडो देखे।
कई यार घायल हो जावे तिरछी नजरियां फेखे।
(पण) कई मरियां जिन्दा हो जावे जद जद गावे गाण तू।
रूपां की बावळी मत ना मारे नैणा बाण तू॥
अमृत की बारिस सी बरसे जद जद गौरी पास।
दूर हटी जहर हो जीवण आवे जरा न रास।
अस्या पस्या सब धारा जाळ में बैठी ताणों ताण तू।
रूपां की बावळी मत न नेणा बाण तू॥
दोऊ उरोज पर्वत सा भारी केस बादळा सा छाता।
ऊं पर्वत में बसे कामदेव लूटे जण की साता।
एक बार मन बस्ती छाज्या ले ले ऊंकी जाण तू।
रूपां की बावली मत ना मारे नैणा बाण तू॥
भक्तां की भक्ति भंग होज्या टूटे साधूंवां को ध्यान।
रण जाता वीरा रूक जावे योग्यिां को अभिमान।
एक इसारो सब बस होज्या, लावे जरा न पाण तू॥
रूपां की बावली मत ना मारे नैणा बाण तू॥