हूं जाणूं..
इण भोमका पै
जद-जद भी बधै है
मतलबियां री मनमानी
स्वार्थां री खेंचाताणी
अर
सत पांगळो हो जावै
धरम धक्का खावै
बिसास
बखत रा फेर में
निसासां नांखै
मिनखपणो
अेक-दूजै रो मूंडो ताकै
तो
शोषण री जबर
सल्लाड़ियां नै तोड़ती
उग आवै है
क्रांति री कूंपळ
उण पळ
स्याही लोही रो काम करै
कलम हालै
किरपाण चालै
आखर-आखर अंगारा हो जावै
मिनख आपणो फरज पिछाड़ जावै
मरजादा खातर जीवै
मर जावै
क्रांति रा बीज बण जावै
अर अै बीज
औसर आयां तोड़ै
गारै नै अत्याचारां नै
खोखला नारां नै
दोगळां विचारां नै
हूं जाणूं
इण भोमका पै
क्रांति रो बीज
कदे गमे कोनी
तूफान
नीं आवै
जतरै इज नीं आवै
आयां पछै; थमै कोनी
थमै कोनी
फगत उण टेम
‘राम’ रै सामै
‘रावण’ रा पग जमै कोनी
जमै कोनी।