हुय सकै चिना’क

पुहुप री पांखड़ियां जितरा

कै अणथाग

किणी म्हैल में चिणिया भाटां जितरा है

सबद थारै अर म्हारै बिचाळै।

नीं बणै पुहुप

नी म्हैल

अेड़ा अरथ-बिहूणा सबदां रो आपां कांई करां?

इणी खातर

मैं नीं दीन्यो उपहार में सबद-कोश थनै।

इणी खातर

मैं बावड़ जाऊं घणी दफै

अबोलो थारै आंगणै सूं।

स्रोत
  • पोथी : उतरयो है आभो ,
  • सिरजक : मालचंद तिवाड़ी ,
  • प्रकाशक : कल्पना प्रकाशन बीकानेर
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