धीकड़जी

पूंछड़जी

फलांण जी

सगळा लंगाटेर लगायनै आज

बारखड़ी

भणै—

रासनकाट में!

घट्टी रै झावलै में कोनी

छिटांक भर दांणा

जळूस में बंटै गोळियां री सीरणी

चौरावै माथै

मिरतू रा मखांणा

अेक बळबळतौ नारौ

उपरांखर नीसरै

नै पुलीसियां री छेकड़ में

घोचौ करे!

डावै हाथ कुवाड़ौ

जींवणै में

गंडासौ!

लोकराज रै इण भैरूं री

थरपणा

कुणसै थांन में करां?

पैलां

पौसाळ सूं बारै आयौ कक्कौ

फेर खक्खौ

पछै गग्गौ

सैंग जणा बारखड़ी री खाड में

मूतण लाग्या!

जाग्या

म्हांरा देस—

थांरा भाग जाग्या!!

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण - जयपुर
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