थांरै कनै अेक दरीयाव/जळ
महारै कनै अेक थळी/तिरस
गर’जे थे/म्हारी तिरस नै
अेक धोबौ पांणी दे सकौ तो...
थांरै कनै अेक पताळ/धांन
अर महारै कनै दो रोटी भूख
गरा,जे/म्हारी भूख नै
अेक टैम रौ झेलौ दे दो तो...
थांरै कनै अेक आबौ/गाबौ
म्हारै कनै अेक नांगी देह
गर’जे थे म्हारे लांज सारु
दो गज गाबौ दे सको तो...
थांरै कनै अेक धरती/घर
म्हारै कनै अेक रूळी जिंदगी
गर’जे म्हारी जिंदगी नै
अेक पांवड़ौ जमी दे सको तो...
तो थे म्हारी जिंदगी राख सकोला
पण सुणौ! जे म्हैं नीं रेय सक्यौ
तो थांनै पण कोनी रैवण देऊलां
आ जुग री मांग। बगत रौ हेलो है
जमानो पसवाड़ौ फेरे है।