पागल, नीच, दुष्ट अर पापी
क्यूं दिन धोळै कर लेवै धाड़ो?
माणस रो अन्तस उठ बोल्यो —
इण काया रो भोजन भाड़ो।
मिनखां री टोळी री टोळी
आज फिरै बा बळखाती
बिना तार तम्बूरै री
हालत ना छुपी रैवै साथी
सुख रो सपनो जीवन में
देखण री करै घणी आसा
जीवन-रूपी चोपड़ उलटी
उलट गया सगळा पासा
मात-पिता क्यूं सीस झुका दे —
टाबरिया जद कर लेवै आड़ो
माणस रो अन्तस उठ बोल्यो
इण काया रो भोजन भाड़ो।
जद-खेत पकै दुख-दाखां रा
मिनखां री स्यान गमावण नै
पग पड़ै पांगळा धरती पर
पुरखां री लाज बचावण नै
आंख्यां स्यूं ढ़ळता आंसूड़ा
क्यूं मन में आग लगा जावै
बण धणी भीख री रोटी रो
माणस क्यूं दाग लगा जावै
खावण में दाखां घणी भली
पण माणस दिन पर दिन माड़ो।
पागल, नीच, दुष्ट अर पापी
क्यूं दिन धोळै कर लेवै धाड़ो
माणस रो अन्तस उठ बोल्यो
इण काया रो भोजन भाड़ो।