भांत भांत री भासावां

अर भांत भांत रा भेस

न्यारी न्यारी छटा समेट्यां

मुळकै भारत देस

सिरा में सिरमौड़ सवायौ

स्रिस्टी बीच हेमाळौ

संचै निरमळ जळ नदियां रौ

रैवै जग में माथौ ऊँचौ

सींवा रौ रखवाळौ

देवै नित संदेस

भांत भांत री भासावां

अर भांत भांत रा भेस

न्यारी न्यारी छटा समेट्यां

मुळकै भारत देस

संकट आयां सांम्ही छाती

जूंझारां ज्यूं भिड़णौ

आगै बधणौ कदै रुकणौ

पाछौ कदै मुड़णौ

खांधै सूं खांधौ मिळ चाल्यां

सगळा कटै कळैस

भांत भांत री भासावां

अर भांत भांत रा भेस

न्यारी न्यारी छटा समेट्यां

मुळकै भारत देस

नुंवी बणत रा पगमंडणां

सूं धरा सुरंगी राचै

चांरूमेर खुसी रा बाजा

जणगण हरखै नाचै

खेतां में लहराती खेती

फूलै फळै हमेस

भांत भांत री भासावां

अर भांत भांत रा भेस

न्यारी न्यारी छटा समेट्यां

मुळकै भारत देस

स्रोत
  • पोथी : रेवतदान चारण री टाळवी कवितावां ,
  • सिरजक : रेवतदान चारण कल्पित ,
  • संपादक : सोहनदान चारण ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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