कितरो बरसियो है अमी
कितरी रसीली रात है!
किणरा चरण वाज्या
क विगसी रात-राणी चांण-चक!
किणरी सुणी वाणी
क धड़कै काळजो धक-धको-धक!
देखूं कियां, लाजां मरूं
किसड़ी अनोखी बात है!
कितरो बरसियो है अमी!
कितरी रसीली रात है!
किसड़ो बिगसियो फूल
सगळी गंध भीनों आंगणों।
किण रुप मिळ उजवाळियो
इतरो अनोखो चांनणों।
सीली हवा आई कियां
आणंद रै संगात है।
कितरो बरसियो है अमी
कितरी रसीली रात है?
झूलो मंड्यो किण डाळ
हिय क्यूं उजळी उछरंग है!
मन नैं कसूमल रंग ग्यो
वो रंग किणरो रंग है!
किण सांस सागै चाण-चक
की नेह री बरसात है।
कितरो बरसियो है अमी
कितरी रसीली रात है!
किण नेह नैणां दीठ सूं
ओ काळजो ठाडो कियो?
वो दीपतो हेताळु कुण
जिण आय उजवाळो कियो?
किणरै परस सूं प्राण
जाणी आपरी औकात है?
कितरो बरसियो है अमी
कितरी रसीली रात है!