नैनमल जैन
चावा कवि-लेखक। 'सगळां री पीड़ा स्वात-मेघ' कविता संग्रै माथै साहित्य अकादमी रो सिरै पुरस्कार।
चावा कवि-लेखक। 'सगळां री पीड़ा स्वात-मेघ' कविता संग्रै माथै साहित्य अकादमी रो सिरै पुरस्कार।
आपरो आवणों
आयो थारै द्वार
बादळां ज्यूं मन
बायरिया!
चितेरा!
दीवौ हूं, बळूं हूं
इतरो इमरत
कांटां सूं ई यारी है
करुणा-सागर
किण साज्यो सिणगार
कितरो बरसियो है अमी!
कोई म्हंनै रमावै
कुण!
लै कठा-कठा सूं रंग
फूटरा है कितरा चितराम
राज आवौ सा!
रंग दे चादर
सगळां री पीड़ा स्वात-मेघ
सै म्हारा है
सांझड़ी मिस
थांनै कियां मिळूं!
थारै घर की रीत
थारी वीणा बाजै है
वा ई कथा