बारलै डाकीचाळै

छीजैला

थारौ सो कीं

जरा-मरण

हारी-बेमारी

कोई नीं बगसैला थनै

कीं नीं कर सकूंला उपाव

संसारी व्यापैला

टाबरी खिंडैला

इण हांफळरासै भाजतां

थारै पल्लै नीं रैवैला

थारौ कोई अैनाण

इण करतां माड़ी

के नीं रैवैला थारै मांय

आपरी ओळख

के आपरी सोय बाकी

जे कदैई सपनै रै मिस

आयगी थनै थूं आप याद

दिस नीं लाधैला

झाकण सारू थनै

के किण दिस विडरयौ

थारौ आतम-रूप

थारै सूं

पण म्हूरत अरपणौ चावूं थनै

म्हारै आतम रौ बुगचौ

लोभी रै धन री गळाई

जिणमें पड़ी है थूं अबोट

वैड़ी री वैड़ी

जैड़ी करी ही बहीर

म्हारी छाती री आगळ खोल

म्हारी देही रै पींजरै टहूकै

अेकज आस

के कदैई तौ आवैला

थनै अैड़ौ सुपनौ।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : गोरधन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकाशन
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