काजीपेठ रे डाक बंगला

में अेक कमरौ

साम्हीं बालखनी

अर वौ वीं री डोळी सारै ऊभौ

अड़ीजन्त।

चैरा चैरा चैरा चैरा

नै वां रै उपरांखर

उड़ती बाफ

कोई वीं री जिंदगी में सामल कोनी

न्यारौ

वौ किण नै तजै किण नै भजै

सैंधा अणसैंधा लागै

अणसैंधा सैंधा

अर वीं नै मिलण रौ चाव

नीं अणजांणगी रौ पछतावौ

पण कदै-कदास खुद रै माथै थोड़ी

झूंझळ आवै

क्यूं कै वौ मौका-बेमौका ठौड़-कुठौड़

आपरौ नांव भूल ज्यावै

वौ चावै कै किणीं

देस-दिसावर में

अेक चैरौ अेड़ौ व्है जिण नै

सिरफ वौ देखै

अेक अकास अेड़ौ व्है जिण में

सिरफ वौ आपरा नखत कोर सकै

अेक सबद अेड़ौ व्है जिण नै

सिरफ वौ कंवळ कै चकमक री ज्यूं झाल सकै

एक कथण अेड़ौ व्है जिण नै

सिरफ वौ कै सकै?

अलेखूं सळवटां

नै इठत्तर बरसां री जूंनी कांमळ

औढ़’र ऊभौ वौ डोकरौ।

अबै वौ रितुवां नै उडीकै

नीं आगला-पाछला दिनां रा भूंगड़ा चाबै

अेकलौ आखतौ व्है ज्यावै तौ बीयर पीवै

खाली बोतळ उंछाळ देवै ऊपर

नै आख्यां मींच

वीं रै तूटण री अवाज सुणै।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै