छिड़कूं आठूं पौर

भाव-विचारां रा बीज

चेतना री जमीं माथै

आज नीं तो काल

कदैई तो पांगरसी,

म्बहारी धुन

पड़तल धरती सूं परगटसी

कदैई तो कूंपळ

खिलसी इण बिरवै

कदैई तो सबदां रा फूल

फूट'र खिंडसी

किणी डोडे

अै अड़क बीज

अर होयसी कविता सूं लड़ालूम फळियां

जै नीं तिड़की कूंपळ

जै नीं खिल्या पुसब

नीं मुळक्या फळियां में दाणा

तो भी अै बीज माटी में रळ

बण जावैला खाद

त्यार करसी जमीं

नूंवै भाव-विचारां री बुवाई सारू

म्हैं छिड़कूं आखर रा बीज

अर आखर-बीज

अळ्या नीं जावै!

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो ,
  • सिरजक : मोनिका गौड़ ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन ,
  • संस्करण : अंक 36
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