मोनिका गौड़
समकालीन कविता-जातरा मांय ठावौ नाम।
समकालीन कविता-जातरा मांय ठावौ नाम।
अहल्या री पीड़
भोळा कबूतर
बोल कान्हा
दीठ : दो दरसाव
हारी नीं है स्त्री री हूंस
हथेळी में चांद
जीवन
कमल, गुलाब अर रेत
कंसळावां री कदर
कांकर
खदबदै चेतना री चौघट मनभावण राग!
खेत-स्क्रैप
महिला ट्रैफिक हवलदार
मन बेताळ
म्हैं पीपळ हूं
मुगती अजै अणूती अळघी
पांगळो तंत्र
पाटी
रेत
रूप बदळतो डर
सजा
तद मनाऊंला उच्छब
थूक बिलोवणो
विरोधाभास