किणरा सबदां में सोंधू सांच
किणरी बातां में देवूं हूंकारौ
सगळा सरावै म्हारौ भाग
सुधारणौ चावै आगूंच आपरौ आगोतर,
बिलमावणौ चावै म्हानै जूनी विगतां रै फेर
सगळा ई चेतावै-
म्है पूछू
औ आंधारौ कांईं है?
किणरौ सुभीतौ है?
कठै है इणरौ ठावौ मुकांम?
उण सांम-धणी रौ नांव कांई है?
क्यूं चंदावौ तांण्यौ उण च्यारुमेर,
इण ऊंडी चिंता रौ
कांई मकसद है, म्हानै विगतावौ!
आप केवौ के
म्हारी संकावां बिरथा है,
कमती है म्हनैभासा-सगती रौ ग्यांन
खांमी है म्हारा सोचण रा ढाळा में-
म्हारी दीठ रौ मीजांन कमती है!
म्है कोई उजर नीं उठावूं
आप आरथावौ आखी विगत
-आखौ इतिहास
पंगत रै सांमी ऊभौ अर म्हांनै बतळावौ
म्हांरी मीट सूं बांधौ मीट
अर बिना हकळायां पाछौ फरमावौ!
जे माफी बगसौ तौ दीखती अरज करूं
म्हानै आपरी पूठ में ऊभौ दीखै वौई आकार
सायत संजोग सूं मेळ खावै आपरौ उणियारौ
आपरी छीयां रौ सरूप औ ई अंधारौ!
आप आड़ी ज्यूं अड़ जावौ सागण ठौड़
अर संकेतां री भासा में म्हानै डकरावौ!
म्हैं सबद-सस्तर-बिहूण
आपरै सांमी जोवूं अर बिलखौ पड़ जावूं
अंधारै में अदीठ व्है जावै म्हारा हाथ-
आपौ सांभण सूं पैली घिर जावूं!
नीं दरसाऊं कोई दुरभाग
नीं कोई पिछतावौ
म्हारी गत-औगत रौ लेखौ आपनै नीं पूछूं
नीं कोई मैणी या देवूं ओळमौ,
क्यूं आगता पड़ -पड़ नै आवौ आप
क्यूंम्हारै सपनां री हंसी उड़ावौ?
आप सगळा ई समझवांन
विदवांन
ऊंचा इधकारी
आपरै कनै कठै इत्तौ औसांण
के म्हनै बतळावौ?
आप कांई जांणौ के
म्हारा आं आईठाणां री कांईं काणी है?
क्यूं पुरवाई में दुखै म्हारा घाव
क्यूं छीजै ठीयै रै कनै धणियांणी,
टींगर रिणकै कंवळा रै आपै ऊभ
गिंडक हिलावै पूंछ सांमी सीधाळै
गळियां में ताडूकै खुला सांड
बुझती धुंई किण हीलां पाछी सीळगावूं?
इणरै उपरांत आपरी अगवांणी रौ नेम-
औ माईतां रौ दियोड़ौ ईमांन कीकर बिसरावूं!
आप आवौ-
म्हांरी छाती माथै पग राख ऊपर सिधावौ
पण अेक बात री मांफी चावूं अन्दाता!
म्हानै अबैकूड़ी अर ओछी भासा में मती बिलमावौ,
अब म्हारै खातर अबखौ अर दोजख है कथणौ सांच
विरथा है कंवळी बातां में देणौ हूंकारौ।
सगळा ई सराव म्हारौ भाग
सगळा ई चेतावै-
आगै अंधारौ!