मेघो गूंज रैयो रे, सावण लूंब रैयो रे

रसियो रिसाळू भंवरो झूम रैयो रे

आयी तीज नवल री आई, नाचै मोरड़ी रे

ऊभली मचकावै हींडै गोरड़ी रे

गावै मेघ मल्हारां गावै, हिव री कळी-कळी हरसावै

गजबण बीजळ रै पळकारै चमकै टोरड़ी रे

चमकै टोरड़ी रे, ऊभली मचकावै हींडै गोरड़ी रे

रसियो भंवर करै नीनाण, गोरड़ी भातेरण बण जाय

खेत में राम रमै, खड़ी पांथ में मुळकै

कण-कण धान फळै

पान-पान पर मोती चमकै ऊजळा रे

मेघो मधरो-मधरो गाजै

गजबण बीजळ रै पळकारै चमकै टोरड़ी रे

ऊभली मचकावै हींडै गोरड़ी रे।

स्रोत
  • पोथी : भारतीय साहित्य निर्माता शृंखला भीम पांडिया ,
  • सिरजक : भीम पांडिया ,
  • संपादक : भवानीशंकर व्यास 'विनोद' ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै