आज रात भर जागां आपां, रात धणेरी प्यारी!

आभै बीचूं-बीच चनरमा, अेवड़-छेवड़ तारा!

च्यारूंमेर च्यानणी मुळकै, भरती-सी हूंकारा!

मदमाती-रसराती रुत में, आव करां कंई बातां!

रसवंती है उमर आपणी, जोबन सूं सिणगारी!

आज रात-भर जागां आपां, रात घणेरी प्यारी!

इसी रात जद-जद होवै, हियै भाव जागै!

आखी उमर रात रैवै, तू धण, जागै सागै!

मन री पेयी-पेटी खोल’र सगळा भाव दिखाणूं!

और रेसमानी सब पुड़तां, खोलूं कामणगारी!

आज रात भर जागां आपां, रात घणेरी प्यारी!

सो मत! जाग, बात कर कोई, पल-पल वेळा बीतै!

प्यार तणी इमरत-झारी, वेळा सागै रीतै!

किती कामनावां रा समदर, बुंद-बूंद में लहरै!

काळ थमणो कदै बावळी! तातल है असवारी!

आज रात-भर जागां आपां, रात घणेरी प्यारी!

बात नै सूझै, गीत छेड़ दै! थारो साथ निभावूं!

तू गावै तो मैं थारै सुर में राग रळावूं!

मन री वीण उठा लै मरवण! झिणकारा सरसा दै!

गीत प्यार रा गायां जावां, आपां बारी-बारी!

आज रात-भर जागां आपां, रात घणेरी प्यारी!

स्रोत
  • पोथी : मरवण तार बजा ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकांत ,
  • प्रकाशक : कल्पनालोक प्रकाशन (रतनगढ़)
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