आंख देख अणजाण

ताकड़ी इतरी राखै काण

जीभ री उतरी-उतरी पाण

मिनख रै पेट पळै कुबाण

हिवड़ै पनपै हेत मिनख मन जोयो कोनी रे

मन रो गरब गुमान मानखा धोयो कोनी रे

भान तन्नै होयो कोनी रे॥

बोलै बोल अजाण

ज्ञान रा टुकड़ा जोड़ मती

जूनी जाण पिछाण

दरद रो धीरज तोड़ मती

भाग, भरम, भगवान

पुराणी थांरी बाण कुबाण

बिगड़ग्यो बिरमा जी रो घाण

भान तन्नै होयो कोनी रे

मिनखपणै रो बीज धरा पर बोयो कोनी रे॥

बोदी जूण जुगां भुगत्योड़ी

बासी बोल बिसरणा है

ना धरती रो बीज बांझड़ो

नूंवां अरथ निसरणा है

हाट हियै रो खोल अंणती

विपदावां मत तोल

दरद नै दे संजोरा बोल

मिनख-मन धोयो कोनी रे

हिवड़ै पनपै हेत मिनख-मन जोयो कोनी रे

आं रूंखां पर पांख पंखेरू

कुरळावै ना मुरळावै

भीतर मार भरोसां दीनो

चिरळावै ना गरळावै

मिनख नाख दे हाण

लोय में कुणसो फूंकै प्राण

बगत नै भोग्यां आवै ताण

ग्यान तन्नै होयो कोनी रे

हिवड़ै पनपै हेत मिनख-मन जोयो कोनी रे॥

स्रोत
  • पोथी : जूझती जूण ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन (बीकानेर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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