नाणा वन्ना नाथिया,  नाणे नाथा लाल।
जोवो रे जोवो तमे,  नाणू करे कमाल॥

आसकाल ना टेम मय,  रुपिया नी है पूस।
जेने पँय रुपियो उवे,  एनी ऊँसी मूँस॥

कोडी मय हाथी मले,  पण हरते लेवाय।
खलिया मय है कोय ने,  हरते लेवा जाय॥

पइसो मारो परमिसर,  मूँ पइसा नो दास।
पइसा ने सोड़ी मने,  कोय ने लागु खास॥

रुखड़ू आले सायलो,  रुखड़ा ने ऊसार।
रुखड़ू आले वायरो,  नके इने तू मार॥
                  
दवा बणे रुखड़ा थकी,  थुडुक तो तू विशार।
जगा विटी रइ रूखड़ां,  ज़मी स वेटे भार॥
                 
आम्बा मउड़ा लेमड़ा,  पिपळा वड़ला बोर।
आणा नी कापो नके,  ज़ीवण ज़ीवी दोर॥

व्हाली म्हारी वागड़ी,  राखो एनू मान।
वागड़ तो है आपडू,  आन बान ने शान॥

वागड़ नो डंको वज़े,  गामु गाम ने देस।
वागड़ नी तो धाक है,  ठेठ देस परदेस॥

बेणीसर नू बेणकू,  आबूदरा नू गान।
थई रयू है आसकल,  शारी मेर वकाण॥

संत मावजी ग्या लकी,  सोपड़ा आयँ शार।
आगळ वाणी जे करी,  एमस थाय अब्बार॥

दूरिये दीवा र्'या बळी,  पळिए पाणी जाय।
भेतँ मयीं भबुका फुटे,  आबे वाटे थाय॥

तकतेई माँ में घणू,  देकाय सबने हास।
नाना मोटा लोग सब,  आवीं लइने आस॥

भीमकुण्ड ने घोटियो,  पाण्डवों नो वास।
रामकुण्ड बी तिरत है,  देखवा जिवो खास॥

पूगी गामू गाम है,  माइडेम नी नेर।
थई गई जेणा थकी,  शारी आडी लेर॥

वड़ले बेटो वांदरो,  मउड़े बेटो मोर।
कोयक ते जूवे खरी,  बेवा हारू ठोर॥

लिमड़े लागी संबुळी,  मउड़े लागी डोळ।
आंबे पाकी केरिये,  बे बे हाथे घोळ॥

वागड़ वाळो वायरो,  साल्यो शारी मेर।
माही नूँ पाणी फरे, खेतरँ मय है लेर॥

बेणीसर ने बेणके,  सालो रमवा रास।
अयँ रेता ता मावजी,  आ धरती है खास॥
स्रोत
  • सिरजक : कैलाश गिरि गोस्वामी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ा दूहा
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