प्रीतम भेजी वादळी इण में मीन मेख।

वरसण मिस झूरै खड़ी धण विळळंती देख॥

भावार्थ:- इस बादली को प्रितम ने भेजा है। इसमें मीन-मेख नहीं है। धन्या को विलाप करते हुए देख कर यह बरसने के मिस रो रही है।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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