पहरै वदळै वादळी वदळ पहर वदळाय।
सूरज साजन नै सखी आसी कुणसो दाय॥
भावार्थ:- बादली पहनती हैं, बदलती है और फिर बदल कर फिर पहनती हैं। जाने सूरज को कौन सा वेष अच्छा लगेगा?