सज धज आवै सामनै चालै मधरी चाल।

सैण-सनेसो वादळी सुणा-सुणा ततकाल॥

भावार्थ:- तू सज-धज कर सामने आती और धीमी-धीमी चाल चलती है। बादली, साजन का संदेशा तत्काल सुना दे।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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