जळ सो प्यारो जीव है कण सी कोमल काय।
कुणसै कूणै वादळी, राखी वीज छिपाय॥
भावार्थ:- जल से बना तुम्हारा प्रिय जीवन है और धूलिकणों से बनी कोमल काया। बादली, तुमने कौनसे कोने में बिजली जैसी चीज को छिपा कर रखा है?